इन्टरनेट(वर्ल्ड वाइड वेब ) पर कुछ भी (वेबपेज .ब्लॉग ,विड़ोज ,म्यूजिक, समाचार आदि ...) सर्च करने के लिए हम google,याहू ,बिंग (प्रिय सर्च इंजन ...
इन्टरनेट(वर्ल्ड वाइड वेब ) पर कुछ भी (वेबपेज .ब्लॉग ,विड़ोज ,म्यूजिक, समाचार आदि ...) सर्च करने के लिए हम google,याहू ,बिंग (प्रिय सर्च इंजन ) में टोपिक लिख कर सर्च करते है तो परिणाम स्वरूप बहुत सारी लिंक मिलती है इसे वेब ब्राउज़िंग कहते हैं | WWW ब्राउज़िंग 3 तरह की होती है ...
(१) सरफेस वेब इंटरफ़ेस द्वारा
(२) डीप वेब द्वारा
(३) डार्क वेब द्वारा
Surface web:- नॉर्मल किसी सर्च इंजन के माध्यम से की जाने वाली ब्राउज़िंग को सरफेस वेब ब्राउज़िंग कहते हैं | सरफेस वेब पर किसी वेबसाइट या वेबसाइट के वही पेज ब्राउज किये जा सकते है जिसकी जानकारी सर्च इंजन को होती है या जो पेज सर्च इंजन के डेटाबेस में indexed रहते हैं |
Deep web:- ऐसी साइट्स जो नार्मल इन्टरनेट यूजर और सर्च इंजन से hidden(छिपी) होती हैं जिनका कोई रेकोर्ड्स सर्च इंजन के डेटाबेस में नही होता है जैसे बैंकिंग , मेडिकल रिकोर्ड्स,यूनिवर्सिटी एडमिन लॉग इन पेज , सरकारी दस्तावेज ..अदि आदि ...को एक्सेस करने के लिए deep web यूज करते है ,इसमें यूजर्स को डायरेक्ट लिंक दी जाती है जो की किसी सर्च इंजन से सर्च करने पर नही मिलेगी |
Dark web:- dark वेब के अंतर्गत आने वाले नेटवर्क्स और वेबसाइट बहुत ही ज्यादा एन्क्रिप्टेड और छिपे होते हैं जहा तक पहुचना नार्मल नेटवर्क(ISP-जिओ ,एयरटेल ,वोडा....) से सम्भव नही ..इसे एक्सेस करने के लिए vpn के सहारे अलग नेटवर्क बनाते हैं ..डार्क वेब के टर्म में आने वाली वेबसाइट अधिकतर ड्रग .गन सेलिंग , पोर्नोग्राफी ,कॉपीराइट सामग्री ,हैकिंग की होती हैं |
Tor :- फ्री में अपने आप को इन्टरनेट की दुनिया में अदृश्य करने या आइडेंटिटी छिपाने के लिए tor नेटवर्क का प्रयोग किया जाता है ...Tor में खास बात यह है की आप बहुत सारी IP के पीछे छिप सकते हैं जब चाहें नई सर्किट बना सकते हैं |
Tor ब्राउज़र में हम फ्री में अपनी वेबसाइट बना कर होस्ट कर सकते हैं पर वह वेबसाइट सिर्फ Tor ब्राउज़र में ही ओपन होगी और वेबसाइट का डोमेन .onion होगा |
Tor ब्राउज़र में बनाई जाने वाली वेबसाइट डायरेक्ट खुद के कंप्यूटर से होस्ट होती है मतलब कम्पुटर बंद तो वेबसाइट बंद |
Tor का यूज एजुकेशनल पर्पस से किया जा सकता है जैसे क्लाइंट को वेबसाइट दिखानी है तो फ्री में होस्ट कर दिखा सकते हैं ....पेनेट्रेशन टेस्टिंग के लिए सुरक्षित लैब बना सकते हैं | कई वेबसाइट एक IP को 1 बार ही allow करती हैं तो Tor सर्विस यूज कर ip बदल बदल कर बार बार एक्सेस कर सकते हैं |
यदि आप .onion टाइप की वेबसाइट से कुछ डाउनलोड करते हैं तो इसमें सावधानी बरतें आप जो डाउनलोड कर रहें हैं वो नाम लिखे हुए सामग्री से अलग हो सकता है ..वायरस हो सकता है ..RAT(रिमोट एक्सेस टूल ) हो सकता है जो की डाउनलोड होने बाद स्वत: excute होकर attacker को आपके कंप्यूटर का एक्सेस दे सकता है ....|
Tor ब्राउज़र यूज करना इल्लीगल नही है पर कालाबजारी न करें ....Tor अमरीकन गवर्मेंट द्वारा स्पोंसेर्द है .....
Tor से काले कारनामे करने वाले कैसे पकड़े जाते हैं -----?
जब हम tor इनस्टॉल करते है तो mac address हमेशा के लिए tor सर्वर पर स्टोर हो जाता है ...जब tor ओपन करते हैं और tor नेटवर्क से कनेक्ट करने का प्रयास करते हैं तो हमारी रियल ip address to वर्चुअल ip का एक log generate होता है वो tor के सर्वर पर अपलोड हो जाता है जब भी हम नई ip के लिए सर्किट बनाते हैं तो log सर्वर पर अपडेट होता रहता है | जरूरत पड़ने पर इस log फाइल को जाँच एजेंसी को सौप दिया जाता है |
इन्टरनेट से एडवांस ब्राउज़िंग कैसे करें ...
यदि आप चाहते हैं की जो सामग्री आप सर्च कर रहें उसी के लिंक सर्च करने पर दिखे तो एडवांस सर्च की प्रणाली अपना सकते हैं ---
यदि आप कोई फाइल ढूड रहे है जिसका एक्सटेंशन .pdf .doc .xls .mp4 .exe .apk ..अदि अदि हो तो निम्न तरह से सर्च कर सकते हैं .....
google पर जाइए और टाइप कर दीजिए ..
book name filetype:pdf
song name filetype:mp3/mp4
जिस तरह की फाइल चाहिए वो फाइल टाइप में लिख दीजिए ...सर्च करने पर डायरेक्ट pdf/doc/exe.....डाउनलोड करने की लिंक मिलेगी ...
यदि किसी वेबसाइट के अंदर सर्च करना चाहते हैं तो इस तरह से लिखिए ....
search terms site:abcd.com
और भी बहुत सारे सर्च ऑपरेटर्स है जो की ब्राउज़िंग को आसान बना देते हैं |
वैभव पाण्डेय
सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर
(१) सरफेस वेब इंटरफ़ेस द्वारा
(२) डीप वेब द्वारा
(३) डार्क वेब द्वारा
Surface web:- नॉर्मल किसी सर्च इंजन के माध्यम से की जाने वाली ब्राउज़िंग को सरफेस वेब ब्राउज़िंग कहते हैं | सरफेस वेब पर किसी वेबसाइट या वेबसाइट के वही पेज ब्राउज किये जा सकते है जिसकी जानकारी सर्च इंजन को होती है या जो पेज सर्च इंजन के डेटाबेस में indexed रहते हैं |
Deep web:- ऐसी साइट्स जो नार्मल इन्टरनेट यूजर और सर्च इंजन से hidden(छिपी) होती हैं जिनका कोई रेकोर्ड्स सर्च इंजन के डेटाबेस में नही होता है जैसे बैंकिंग , मेडिकल रिकोर्ड्स,यूनिवर्सिटी एडमिन लॉग इन पेज , सरकारी दस्तावेज ..अदि आदि ...को एक्सेस करने के लिए deep web यूज करते है ,इसमें यूजर्स को डायरेक्ट लिंक दी जाती है जो की किसी सर्च इंजन से सर्च करने पर नही मिलेगी |
Dark web:- dark वेब के अंतर्गत आने वाले नेटवर्क्स और वेबसाइट बहुत ही ज्यादा एन्क्रिप्टेड और छिपे होते हैं जहा तक पहुचना नार्मल नेटवर्क(ISP-जिओ ,एयरटेल ,वोडा....) से सम्भव नही ..इसे एक्सेस करने के लिए vpn के सहारे अलग नेटवर्क बनाते हैं ..डार्क वेब के टर्म में आने वाली वेबसाइट अधिकतर ड्रग .गन सेलिंग , पोर्नोग्राफी ,कॉपीराइट सामग्री ,हैकिंग की होती हैं |
Tor :- फ्री में अपने आप को इन्टरनेट की दुनिया में अदृश्य करने या आइडेंटिटी छिपाने के लिए tor नेटवर्क का प्रयोग किया जाता है ...Tor में खास बात यह है की आप बहुत सारी IP के पीछे छिप सकते हैं जब चाहें नई सर्किट बना सकते हैं |

Tor ब्राउज़र में बनाई जाने वाली वेबसाइट डायरेक्ट खुद के कंप्यूटर से होस्ट होती है मतलब कम्पुटर बंद तो वेबसाइट बंद |
Tor का यूज एजुकेशनल पर्पस से किया जा सकता है जैसे क्लाइंट को वेबसाइट दिखानी है तो फ्री में होस्ट कर दिखा सकते हैं ....पेनेट्रेशन टेस्टिंग के लिए सुरक्षित लैब बना सकते हैं | कई वेबसाइट एक IP को 1 बार ही allow करती हैं तो Tor सर्विस यूज कर ip बदल बदल कर बार बार एक्सेस कर सकते हैं |
यदि आप .onion टाइप की वेबसाइट से कुछ डाउनलोड करते हैं तो इसमें सावधानी बरतें आप जो डाउनलोड कर रहें हैं वो नाम लिखे हुए सामग्री से अलग हो सकता है ..वायरस हो सकता है ..RAT(रिमोट एक्सेस टूल ) हो सकता है जो की डाउनलोड होने बाद स्वत: excute होकर attacker को आपके कंप्यूटर का एक्सेस दे सकता है ....|
Tor ब्राउज़र यूज करना इल्लीगल नही है पर कालाबजारी न करें ....Tor अमरीकन गवर्मेंट द्वारा स्पोंसेर्द है .....
Tor से काले कारनामे करने वाले कैसे पकड़े जाते हैं -----?
जब हम tor इनस्टॉल करते है तो mac address हमेशा के लिए tor सर्वर पर स्टोर हो जाता है ...जब tor ओपन करते हैं और tor नेटवर्क से कनेक्ट करने का प्रयास करते हैं तो हमारी रियल ip address to वर्चुअल ip का एक log generate होता है वो tor के सर्वर पर अपलोड हो जाता है जब भी हम नई ip के लिए सर्किट बनाते हैं तो log सर्वर पर अपडेट होता रहता है | जरूरत पड़ने पर इस log फाइल को जाँच एजेंसी को सौप दिया जाता है |
इन्टरनेट से एडवांस ब्राउज़िंग कैसे करें ...
यदि आप चाहते हैं की जो सामग्री आप सर्च कर रहें उसी के लिंक सर्च करने पर दिखे तो एडवांस सर्च की प्रणाली अपना सकते हैं ---
यदि आप कोई फाइल ढूड रहे है जिसका एक्सटेंशन .pdf .doc .xls .mp4 .exe .apk ..अदि अदि हो तो निम्न तरह से सर्च कर सकते हैं .....
google पर जाइए और टाइप कर दीजिए ..
book name filetype:pdf
song name filetype:mp3/mp4
जिस तरह की फाइल चाहिए वो फाइल टाइप में लिख दीजिए ...सर्च करने पर डायरेक्ट pdf/doc/exe.....डाउनलोड करने की लिंक मिलेगी ...
यदि किसी वेबसाइट के अंदर सर्च करना चाहते हैं तो इस तरह से लिखिए ....
search terms site:abcd.com
और भी बहुत सारे सर्च ऑपरेटर्स है जो की ब्राउज़िंग को आसान बना देते हैं |
वैभव पाण्डेय
सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर
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