मानव आंख से प्रेरित होकर हार्वर्ड जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज(Harvard John A. Paulson School of Engineering and App...
मानव आंख से प्रेरित होकर हार्वर्ड जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज(Harvard John A. Paulson School of Engineering and Applied Sciences: SEAS) के शोधकर्ताओं ने एक मानव आंख अनुकूल मेटालेन्स(adaptive metalens) विकसित की है, जो मूल रूप से एक सपाट और इलेक्ट्रॉनिक रूप से नियंत्रित कृत्रिम आंख है। यह मेटालेन्स सिलिकॉन से निर्मित, पारदर्शी और सिकुड़ने या खिंचाव करने योग्य है। यह मेटालेन्स नैनोस्ट्रक्चर के माध्यम से रंगीन छवियों को प्रदर्शित करता है इसमें किसी इलेक्ट्रोड का उपयोग नही किया गया है। मेटालेन्स एक साथ तीन प्रमुख तरीकों से छवियों को नियंत्रित करता है फोकस, दृष्टिवैषम्य(astigmatism) और छवि परिवर्तन।
इस शोध ने कृत्रिम मांशपेशियों से मेटालेन्स को सफलतापूर्वक जोड़कर, मानव आँखों की तरह ही ट्यून करने देखने जैसी संभावनाओं के नये द्वार खोल दिये है। चिकित्सा क्षेत्रों में इस तकनीक की बेहतर संभावनाओ को देखते हुए हावर्ड ऑफिस ऑफ टेक्नोलॉजी डेवलपमेन्ट(Harvard Office of Technology Development) ने इस शोध परियोजना से संबंधित सभी दस्तावेज़ों को संरक्षित कर लिया है और इस तकनीक के व्यवसायीकरण के अवसर तलाश रहा है।
अब वैज्ञानिकों द्वारा कृत्रिम मांशपेशियों को ऐसे मेटालेन्स से सफलतापूर्वक जोड़कर कार्यात्मक बनाने पर कार्य किया जा रहा है। इस तकनीक की कार्यप्रणाली ठीक वैसी ही होगी जैसी मानव आंखों की होती है। मानव आँखों के लेंस सिलिअरी मांसपेशी(ciliary muscle) से घिरी होती है। इन मांशपेशियों का मुख्य कार्य लेंस को फैलाना और सिकोड़ना होता है यह फैलाव/सिकुड़ाव ही फोकल लंबाई को समायोजित करता है। शोधकर्ताओं द्वारा कृत्रिम मांशपेशियों के निर्माण के लिए डीएलेक्ट्रिक इलास्टोमर(dielectric elastomer) को चुना है यह मेटालेन्स को नियंत्रित कर सकता है इसलिए इसे कृत्रिम मांशपेशी कहा गया है। यह एक पतली, पारदर्शी और कम नुकसान के साथ लेंस से जोड़ा जा सकता है यहां कम नुकसान कहने का अर्थ है की इस सामग्री के माध्यम से प्रकाश का बिखराव नगण्य होगा।
मेटालेन्स एक छवि संवेदक(image sensor) पर प्रकाश किरणों को केंद्रित करती है साथ ही छवियों के 3D आकार को ऑप्टिकल वेवफ्रोन्ट्स(optical wavefronts) के माध्यम से नियंत्रित करता है। चित्र2 में ऑप्टिकल वेवफ्रोन्ट्स को लाल रंग में दिखाया गया है जो एक विद्युत संकेत है। परिणामस्वरूप एक बेहतर 3D छवि का निर्माण किया जा सकता है। भविष्य में ऐसे मेटालेन्स सेलफ़ोन कैमरे, माइक्रोस्कोप और कृत्रिम मांशपेशियों के साथ कृत्रिम आंख का स्थान ले सकते है।
Journal reference: Science Advances & Optics Express.
स्रोत: Harvard John A. Paulson School of Engineering and Applied Sciences.

अब वैज्ञानिकों द्वारा कृत्रिम मांशपेशियों को ऐसे मेटालेन्स से सफलतापूर्वक जोड़कर कार्यात्मक बनाने पर कार्य किया जा रहा है। इस तकनीक की कार्यप्रणाली ठीक वैसी ही होगी जैसी मानव आंखों की होती है। मानव आँखों के लेंस सिलिअरी मांसपेशी(ciliary muscle) से घिरी होती है। इन मांशपेशियों का मुख्य कार्य लेंस को फैलाना और सिकोड़ना होता है यह फैलाव/सिकुड़ाव ही फोकल लंबाई को समायोजित करता है। शोधकर्ताओं द्वारा कृत्रिम मांशपेशियों के निर्माण के लिए डीएलेक्ट्रिक इलास्टोमर(dielectric elastomer) को चुना है यह मेटालेन्स को नियंत्रित कर सकता है इसलिए इसे कृत्रिम मांशपेशी कहा गया है। यह एक पतली, पारदर्शी और कम नुकसान के साथ लेंस से जोड़ा जा सकता है यहां कम नुकसान कहने का अर्थ है की इस सामग्री के माध्यम से प्रकाश का बिखराव नगण्य होगा।

Journal reference: Science Advances & Optics Express.
स्रोत: Harvard John A. Paulson School of Engineering and Applied Sciences.
COMMENTS