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कम्प्यूटर का इतिहास---

कंप्यूटर का इतिहास  आज से लगभग 300 वर्ष पूराना है, मूल रूप से कंप्यूटर का विकास गणितिय गणनाओं को बड़ी संख्या में करने के लिए किया गया था। कं...

कंप्यूटर का इतिहास आज से लगभग 300 वर्ष पूराना है, मूल रूप से कंप्यूटर का विकास गणितिय गणनाओं को बड़ी संख्या में करने के लिए किया गया था। कंप्यूटर का इतिहास यही व्यख्त करता है की काफी कठोर प्रयास के बाद ही कंप्यूटर का विकाश संभव हो सका हैं। इस प्रक्रिया में विभिन्न प्रणालियों को जन्म दिया जैसे बेबीलोनियन प्रणालीयूनानी प्रणालीरोमन प्रणालीऔर भारतीय प्रणाली, मगर इनमें से भारतीय प्रणाली को स्वीकार कर लिया गया है। भारत के प्राचीन विख्यात खगोल शास्त्री और गणितज्ञ आर्यभठ्ठ के द्वारा दशमलव प्रणालीका विकसित किया था। यह 0-9 संख्याकरण की आधुनिक दशमलव प्रणाली का आधार है तथा बाइनरी नंबर प्रणाली(0,1) का सर्वप्रथम ज्ञात विवरण प्रस्तुत किया गया | इन दो अंको (0 और 1) का ही प्रयोग प्रथम कम्प्यूटर की संरचना के लिए मुख्य रूप से किया गया था। आप सोच सकते है अगर भारत के गणितज्ञ आर्यभठ्ठ के द्वारा दशमलव प्रणाली का विकाश ना हो पाता तोह क्या आज हम जो कंप्यूटर का इश्तेमाल  इन्टरनेट , मूवीज तथा गेम्स खेलने के लिए करते है क्या उनका विकास मुमकिन हो पाता? हमे निचे कमेंट करके जरुर बताये। दोस्तों क्या आपको पता है? की कंप्यूटर शब्द का इस्तेमाल कंप्यूटर के निर्माण से बहुत पहले से ही होता आ रहा है पहले के समय में यांत्रिक उपकरणों को संचालित करने वाले विशेषज्ञ व्यक्ति को ही “कंप्यूटर” नाम से जाना था| समय के साथ-साथ इन यंत्रो में अनेक प्रकार के बदलाव तथा सुधार किये गए। तब  जाकर आधुनिक कंप्यूटर का निर्माण संभव हो सका जिससे हम कंप्यूटर के इतिहास के रूप में जानते है।

कंप्यूटर का इतिहास तथा अबेकस का उपयोग

कंप्यूटर का इतिहास को देखे तोह हमे ये पता चलेगा की मानव के लिए गणितीय गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है तब हमे एक ऐसे यंत्र की आवश्यकता महसूस होने लगी जिशकी सहायता से हम आसानी से अपनी गणितीय गणना कर सके। एबाकस (ABACUS) पहली मशीनीकल गणना करने वाली मशीन थी जिशकी सहायता से हम बड़ी संख्या और आंकड़े की गणना किया जा सकता था और अंकगणित इत्यादि कर सकते थे। यह लगभग 5000 साल पहले चीन में आविष्कार हुआ था। इसमें संख्याओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए मोतियों के साथ कई छड़ हैं। एबाकस पर गणना इन मोतियों को छड़ से फिसलने के द्वारा किया जाता है। परन्तु अबेकस के द्वारा गुणन और विभाजन का कार्य नहीं किया जा सकता था। ये भी कंप्यूटर के विकास क्रम का एक भाग है। इस मशीन के आविष्कार ने कंप्यूटर के विकास का आगाज कर दिया था।


कंप्यूटर का इतिहास तथा नेपियर बोनस का विकास


1616 में, सर जॉन नेपियर ने एक गणना उपकरण बनाया और इसे नेपियर का बोन्स कहा गया। इसका उपयोग से जोड़, घटाव, गुणन और विभाजन के लिए किया गया था। यह डिवाइस आयताकार छड़ का एक सेट से बना है। कंप्यूटर के विकास में सर जॉन नेपियर का नेपियर बोन्स का प्रभावाशाली भूमिका था। जैसा की हम जानते है की सर जॉन नेपियर एक गणितज्ञ थे जो लोगारिथ्म्स(Logarithms) के अपने आविष्कार के लिए प्रसिद्ध हुये थे। उनके लॉगस (Logs) के उपयोग से किसी भी गुणा समस्या को कम समय में हल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उनकी “नेपियर बोन्स” आयताकार छड़ का एक सेट से बना जिशमे ग्यारह छड़ की सेट होती हैं और छड़ को “बोन्स” इशलिये कहा जाता था क्योंकि वे हाथीदांत से बने थे।


कंप्यूटर का इतिहास तथा पास्‍कलाइन का खोज


एबाकस तथा नेपियर बोन्स के निर्माण के बाद पास्‍कलाइन का आविष्कार हुआ। सन् 1642 में ब्लेज़ पास्कल ने पास्‍कलाइन का आविष्कार किया, जो एक यांत्रिक मशीन था। इसमें आठ चलने वाले पहियों के साथ एक आयताकार बॉक्स शामिल था। यह 10, 100 और 1000 के साथ जोड़ने, घटाने में सक्षम था। यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था, तथा ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। जैसा की हम जानते है की ब्लेज़ पास्कल एक फ्रांसीसी गणितज्ञ थे और पहले आधुनिक वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने कैलकुलेटर विकसित किया और इशका निर्माण किया था। उन्होंने 19 वर्ष की उम्र में एक मशीन विकसित की जो संख्याओं को जोड़ना और घटाने में सक्षम थी। मशीन को पहियों की श्रृंखला के डायल द्वारा संचालित किया जाता था। ये गणितीय गणना कर सकता था और श्रम को भी बचा सकता था।


कंप्यूटर का विकास तथा डिफ्रेन्सियल और एनालिटीकल इंजन का अविष्कार


सन् 1822 में चार्ल्स बेबेज ने पास्कलिन से प्रेरणा लेकर पहला यांत्रिक कंप्यूटर का आविष्कार किया था, इसे डिफ्रेन्सियल इंजन कहा जाता था। उन्होंने विचित्र-विचित्र मशीने जैसे “डिफरेंशिअल इंजन” तथा “एनालिटीकल इंजन” बनाया जो सही तरीके से गणना कर सकते थे। चार्ल्स बैबेज एक ब्रिटिश गणितज्ञ, जिसे कंप्यूटर के पिता के रूप में माना जाता है, उन्होंने एनालिटीकल इंजन के रूप में जाना जाने वाला पहला सामान्य कंप्यूटर का आविष्कार किया तथा इसके आधार पे ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है। उन्होंने 1937 में स्वचालित कंप्यूटर की परिकल्पना की थी जिसे वे धन की कमी के कारण पुरा नहीं कर सके थे। मगर हथर्न होलेरीथ ने उससे पूरा किया जिसमे पंचकार्ड की इश्तेमाल से कृत्रिम स्मृति तथा प्रोग्राम के अनुरूप गणना करने की क्षमता थी। इसीलिए “चार्ल्स बैबेज” को “आधुनिक कंप्यूटर का जनक ” कहा जाता है।

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वैभव पांडेय,94,Gallery,84,
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विज्ञान वैभव: कम्प्यूटर का इतिहास---
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विज्ञान वैभव
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