By वैभव पाण्डेय आनुवंशिकता क्या है ?- ग्रेगर जॉन मेंडल ने सर्वप्रथम आनुवंशिकता या वंशागति के सिध्दांतों का प्रतिपादन किया था । उन्होंने ...
By वैभव पाण्डेय
आनुवंशिकता क्या है ?-
ग्रेगर जॉन मेंडल ने सर्वप्रथम आनुवंशिकता या वंशागति के सिध्दांतों का प्रतिपादन किया था । उन्होंने आधुनिक आनुवंशिकी की नींव रखी थी ।
जॉन मेंडल को आनुवंशिकी का जनक (father of genetics) कहा जाता है ।
जीवों की आनुवांशिकता तथा आनुवंशिक समानताओं और विभिन्नताओं का अध्ययन आनुवंशिकी (genetics) कहते हैं ।
आनुवंशिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग बेटसन ने किया था ।
जॉनसन ने जीन (gene) शब्द का प्रयोग किया था ।
गुणसूत्र (chromosome) का नामकरण वाल्टेयर ने किया था ।
मेंडल के नियम----
प्रभाविकता का नियम (law of dominance)----
मेंडल एक ही लक्षण के दो विरोधी गुणों वाले पौधों का संकरण कराया । तब प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण दिखयी पड़ते हैं । अप्रभावी गुण अगली पीढ़ी में उत्पन्न होता है ।
पृथक्करण का नियम (law of segregation) -----
पौधों के विपरीत लक्षण या कारक (gene) युग्मकों के निर्माण के समय अलग-अलग युग्मकों में हो जाते हैं । युग्मनज में यह गुण पुनः आ जाते हैं । यह कारक अपना अस्तित्व बनाये रखते हैं ।
स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (law of independent assortment)--
जब दो जोड़ी विरोधी लक्षणों (लम्बा और बौना) वाले पौधों का संकरण कराया जाता है । तब दोनों लक्षणों की आनुवंशिकता एक-दुसरे को प्रभावित नहीं करती है ।
मेंडल के प्रयोग से सम्बंधित तथ्य
मेंडल ने पौधों पर परिक्षण के लिए उद्यान मटर (pisum sativam) का चयन किया था ।
मटर के पौधे में नर और मादा जनन अंग एक ही पुष्प में होते हैं ।
मेंडल ने जीन्स के लिए कारक या फैक्टर शब्द प्रयोग किया था ।
मेंडल ने सर्वप्रथम एक जोड़ी विपरीत गुणों की वंशागति का अध्ययन किया था । जिसको एकसंकरीय कहते हैं ।
दो जोड़ी विपरीत गुणों की वंशागति का अध्ययन द्वि-संकरीय क्रास कहते हैं ।
किसी लक्षण के तुलनात्मक रूपों के जीन्स को एलिलोमॉर्फ या एलील या युग्म-विकल्पी कहते हैं ।
समयुग्मजी (homozygous)--
जीव में प्रत्येक लक्षण (जैसे लम्बाई) के लिए दो जीन होते हैं । यह दोनों जीन समान होने पर लक्षण शुध्द (pure) या समयुग्मजी कहलाता है । जैसे शुध्द लम्बे TT और शुध्द बौने tt
विषमयुग्मजी (heterozygous)--
यदि किसी लक्षण के जीन एलील या युग्म-विकल्पी हैं । तब वह जीव विषमयुग्मजी कहलाता है । जैसे संकर Tt
बहुप्रभावी जीन (pleiotropic gene)-
एक से अधिक लक्षणों वाले जीन को बहुप्रभावी जीन कहते हैं ।
sickle cell anaemia बहुप्रभावी जीन का उदहारण है ।
महत्वपूर्ण बिंदु-
मानव के शुक्राणु या अंडाणु में 11 जोड़ी ऑटोसोमस होते हैं ।
मानव में 22 ऑटोसोम्स और 1 लिंग गुणसूत्र होता है ।
हिमोफिलिया एक आनुवंशिक रोग है जो सिर्फ पुरुषों में होता है ।
जीवधारी के प्रत्यक्ष रूप से दिखने वाले लक्षणों को फिनोटाइप कहते हैं ।
जीवधारी के आनुवंशिक संगठन को जीनोटाइप कहते हैं ।
cristmas disease को sleeping sickness भी कहते हैं ।
एंटीजन RBC तथा एन्टीबॉडी प्लाज्मा में पाए आते हैं ।
Rh फैक्टर-
Rh तत्व की खोज लैंड-स्टीनर ने की थी ।
यह नाम रहीसस बन्दर के नाम के आधार पर दिया गया था ।
Rh+ पुरुष और Rh– स्त्री की पहली संतान को छोड़कर अन्य की गर्भावस्था में मृत्यु हो जाती है ।
जीव विज्ञान के आधार पर Rh+ लड़की और Rh– लड़के का विवाह संभव नहीं है ।
आनुवंशिक रोग-
आनुवंशिक रोग क्या है?-
वर्णान्धता (color blindness)--
वर्णान्धता में व्यक्ति लाल और हरे रंग में विभेद नहीं कर पता है ।
इसकी खोज विल्सन ने की थी ।
वर्णान्धता का जीन X-क्रोमोसोम पर स्थित होता है ।
टर्नर सिंड्रोम-
टर्नर सिंड्रोम ग्रसित स्त्री में केवल एक X-गुणसूत्र पाया जाता है । इसमें 45 गुणसूत्र पाए जाते हैं ।
डाउन सिंड्रोम-
डाउन सिंड्रोम 21-ट्राईसोमी अपसामान्य कैरियोटाइप कहलाता है ।
इस सिंड्रोम में 47 गुणसूत्र होते हैं ।
इसे मंगोलियन जड़बुध्दिता (mongoloid idiocy) भी कहा जाता है ।
क्लाइनफेल्टर्स सिंड्रोम
क्लाइनफेल्टर्स सिंड्रोम लिंग गुणसूत्रों की ट्राईसोमी के कारण होता है ।
इसमें पुरुष और स्त्री दोनों के लक्षण होते हैं ।
इसके कारण सुपरमेल , सुपरफीमेल, नपुंसक और बाँझ भी होते हैं ।
इसमें 47 गुणसूत्र होते हैं । यह XO अवस्था को दर्शाता है ।
यूजेनिक्स-
इसके अंतर्गत मानव के वातावरण में परिवर्तन द्वारा नस्ल सुधारने का अध्ययन किया जाता है ।
यूथेनिक्स-
इसके अंतर्गत आनुवंशिकी द्वारा मानव प्रजाति में सुधार का अध्ययन किया जाता है ।
आनुवंशिकता क्या है ?-
ग्रेगर जॉन मेंडल ने सर्वप्रथम आनुवंशिकता या वंशागति के सिध्दांतों का प्रतिपादन किया था । उन्होंने आधुनिक आनुवंशिकी की नींव रखी थी ।
जॉन मेंडल को आनुवंशिकी का जनक (father of genetics) कहा जाता है ।
जीवों की आनुवांशिकता तथा आनुवंशिक समानताओं और विभिन्नताओं का अध्ययन आनुवंशिकी (genetics) कहते हैं ।
आनुवंशिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग बेटसन ने किया था ।
जॉनसन ने जीन (gene) शब्द का प्रयोग किया था ।
गुणसूत्र (chromosome) का नामकरण वाल्टेयर ने किया था ।
मेंडल के नियम----
प्रभाविकता का नियम (law of dominance)----
मेंडल एक ही लक्षण के दो विरोधी गुणों वाले पौधों का संकरण कराया । तब प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण दिखयी पड़ते हैं । अप्रभावी गुण अगली पीढ़ी में उत्पन्न होता है ।
पृथक्करण का नियम (law of segregation) -----
पौधों के विपरीत लक्षण या कारक (gene) युग्मकों के निर्माण के समय अलग-अलग युग्मकों में हो जाते हैं । युग्मनज में यह गुण पुनः आ जाते हैं । यह कारक अपना अस्तित्व बनाये रखते हैं ।
स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (law of independent assortment)--
जब दो जोड़ी विरोधी लक्षणों (लम्बा और बौना) वाले पौधों का संकरण कराया जाता है । तब दोनों लक्षणों की आनुवंशिकता एक-दुसरे को प्रभावित नहीं करती है ।
मेंडल के प्रयोग से सम्बंधित तथ्य
मेंडल ने पौधों पर परिक्षण के लिए उद्यान मटर (pisum sativam) का चयन किया था ।
मटर के पौधे में नर और मादा जनन अंग एक ही पुष्प में होते हैं ।
मेंडल ने जीन्स के लिए कारक या फैक्टर शब्द प्रयोग किया था ।
मेंडल ने सर्वप्रथम एक जोड़ी विपरीत गुणों की वंशागति का अध्ययन किया था । जिसको एकसंकरीय कहते हैं ।
दो जोड़ी विपरीत गुणों की वंशागति का अध्ययन द्वि-संकरीय क्रास कहते हैं ।
किसी लक्षण के तुलनात्मक रूपों के जीन्स को एलिलोमॉर्फ या एलील या युग्म-विकल्पी कहते हैं ।
समयुग्मजी (homozygous)--
जीव में प्रत्येक लक्षण (जैसे लम्बाई) के लिए दो जीन होते हैं । यह दोनों जीन समान होने पर लक्षण शुध्द (pure) या समयुग्मजी कहलाता है । जैसे शुध्द लम्बे TT और शुध्द बौने tt
विषमयुग्मजी (heterozygous)--
यदि किसी लक्षण के जीन एलील या युग्म-विकल्पी हैं । तब वह जीव विषमयुग्मजी कहलाता है । जैसे संकर Tt
बहुप्रभावी जीन (pleiotropic gene)-
एक से अधिक लक्षणों वाले जीन को बहुप्रभावी जीन कहते हैं ।
sickle cell anaemia बहुप्रभावी जीन का उदहारण है ।
महत्वपूर्ण बिंदु-
मानव के शुक्राणु या अंडाणु में 11 जोड़ी ऑटोसोमस होते हैं ।
मानव में 22 ऑटोसोम्स और 1 लिंग गुणसूत्र होता है ।
हिमोफिलिया एक आनुवंशिक रोग है जो सिर्फ पुरुषों में होता है ।
जीवधारी के प्रत्यक्ष रूप से दिखने वाले लक्षणों को फिनोटाइप कहते हैं ।
जीवधारी के आनुवंशिक संगठन को जीनोटाइप कहते हैं ।
cristmas disease को sleeping sickness भी कहते हैं ।
एंटीजन RBC तथा एन्टीबॉडी प्लाज्मा में पाए आते हैं ।
Rh फैक्टर-
Rh तत्व की खोज लैंड-स्टीनर ने की थी ।
यह नाम रहीसस बन्दर के नाम के आधार पर दिया गया था ।
Rh+ पुरुष और Rh– स्त्री की पहली संतान को छोड़कर अन्य की गर्भावस्था में मृत्यु हो जाती है ।
जीव विज्ञान के आधार पर Rh+ लड़की और Rh– लड़के का विवाह संभव नहीं है ।
आनुवंशिक रोग-
आनुवंशिक रोग क्या है?-
वर्णान्धता (color blindness)--
वर्णान्धता में व्यक्ति लाल और हरे रंग में विभेद नहीं कर पता है ।
इसकी खोज विल्सन ने की थी ।
वर्णान्धता का जीन X-क्रोमोसोम पर स्थित होता है ।
टर्नर सिंड्रोम-
टर्नर सिंड्रोम ग्रसित स्त्री में केवल एक X-गुणसूत्र पाया जाता है । इसमें 45 गुणसूत्र पाए जाते हैं ।
डाउन सिंड्रोम-
डाउन सिंड्रोम 21-ट्राईसोमी अपसामान्य कैरियोटाइप कहलाता है ।
इस सिंड्रोम में 47 गुणसूत्र होते हैं ।
इसे मंगोलियन जड़बुध्दिता (mongoloid idiocy) भी कहा जाता है ।
क्लाइनफेल्टर्स सिंड्रोम
क्लाइनफेल्टर्स सिंड्रोम लिंग गुणसूत्रों की ट्राईसोमी के कारण होता है ।
इसमें पुरुष और स्त्री दोनों के लक्षण होते हैं ।
इसके कारण सुपरमेल , सुपरफीमेल, नपुंसक और बाँझ भी होते हैं ।
इसमें 47 गुणसूत्र होते हैं । यह XO अवस्था को दर्शाता है ।
यूजेनिक्स-
इसके अंतर्गत मानव के वातावरण में परिवर्तन द्वारा नस्ल सुधारने का अध्ययन किया जाता है ।
यूथेनिक्स-
इसके अंतर्गत आनुवंशिकी द्वारा मानव प्रजाति में सुधार का अध्ययन किया जाता है ।
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