हिग्स बोसोन(ईश्वर कण,गॉड पार्टिकल) क्या है - यह पोस्ट बताते हुए मुझे गर्व महसूस होता है क्योंकि हिग्ग्स बोसोन हमारे इतिहास की भोतिकी में की...
हिग्स बोसोन(ईश्वर कण,गॉड पार्टिकल) क्या है -
यह पोस्ट बताते हुए मुझे गर्व महसूस होता है क्योंकि हिग्ग्स बोसोन हमारे इतिहास की भोतिकी में की गयी सबसे बड़ी खोजो में से एक है और यह खोज हमारे भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के द्वारा की गयी ।
सत्येन्द्र नाथ बोस
महान वज्ञानिक सस्त्येंद्र नाथ बोस जी का जन्म 1 जनबरी 1894 को कोलकाता में हुआ तथा इनका निधन 4 february 1974 को हुआ वे भारत के महान वैज्ञानिको में से एक हैं। उनको Quantum physics के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। आपको बता दें की भौन्तिक शाश्रा में दो तरह के अणु माने जाते हैं। फर्मियान और बोसोन जिनमे से बोसोन अणु का नाम सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही रखा गया ।
महान भौन्तिकी अल्बर्ट आइन्स्टीन और सत्येन्द्र नाथ बोस ने मिलकर कई सिद्धांत प्रतिपादित किये सबसे पहले सत्येन्द्र नाथ बोस ने ही छोटे से छोटे कणों की अवधारणा को माना था और इन छोटे छोटे कणों को सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर बोसोन नाम दिया गया। जिनको आगे चलकर higgs boson तथा बाद में god particle के नाम से जाना गया में सत्येन्द्र नाथ बोस quantum physics में सत्येन्द्र नाथ बोस द्वारा की गयी खोजो पर आधारित नयी खोज करने वाले कई वज्ञानिको को आगे चलकर नोबोल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया लेकिन सत्येन्द्र जी को अभी ता नोबोल पुरुस्कार नहीं दिया गया । but भारत सरकार द्वारा उनको पद्म भूषण पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
हिग्स बोसोन क्या है | what is higgs boson
सन 1960 में Scientist peter higgs ने हिग्ग्स सिद्दांत (higgs theory) प्रतिपादित किया जिसके अनुसार इस ब्रह्माण्ड में हर खाली जगह में एक फील्ड बना हुआ है जिसको हिग्स फील्ड या higgs field कहा जाता है। और इस फील्ड में छोटे छोटे कण मौजूद होते हैं जिनको हिग्स बोसोन (higgs boson ) या god particle कहा गया। यह कण बहुत सूक्ष्म होते हैं जिसे देख पाना संभव नहीं है। हिग्स बोसोन को गहरे से समझने के लिए पहले हमें electron, neutron, proton, के बारे में समझना होगा ।. Higgs boson से पहले Proton को सबसे छोटा कण माना जाता था।
हम जानते हैं कि पानी की एक बूंद (बारिश की बूंद जितनी) के अन्दर 1.67×1021 अणु होते हैं और पानी का एक अणु एक-एक अणु दो परमाणुओ hydrogen और oxygen से मिलकर बना हुआ है। पानी का सूत्र H2O होता है मतलब जब hydrogen के 2 परमाणु और oxygen का का 1 परमाणु मिलता है तो तब पानी का एक अणु बनता है ।
एक हाइड्रोजन परमाणु के अंदर एक Electron एक Neutron और एक Proton होता है प्रोटोन और न्यूट्रॉन hydrogen के center में होते हैं जबकि Electron केंद्र के चारो और घुमते रहते हैं। प्रोटोन के अंदर 2 up quark or 1 down quark पदार्थ होते हैं जो strong force द्वारा एक दुसरे से जुड़े रहते हैं । proton के अन्दर quark के बीच की खाली जगह को higgs field कहा जाता है। इस खाली जगह के अंदर जो सूक्ष्म कण होते हैं उनको higgs boson या god particle या ईश्वरीय कण कहा जाता है जिनको देखना संभव नहीं है। अब ज़रा आप ही देखिये की वह कितना छोटा कण होगा ।
पानी की बूंद—1.67×1021अणु—परमाणु—quark—higgs field—god particle
प्रोटोन के बाहर इलेक्ट्रान और प्रोटोन के बीच की खाली जगह भी higgs field मानी जाती है ।ब्रह्माण्ड में higgs boson हर उस खाली जगह पर मौजूद होते हैं जहाँ पर कुछ नहीं होता है यदि यह गॉड पार्टिकल नहीं होता तो आज हम भी न होते न हमारा अस्तित्वा होता। एक कहावत है कि कण कण में भगवान् होता है। इसी लिए भी god particle कहा गया क्योंकि किसी भी पदार्थ की उत्पति का सबसे पहला चरण यही god particle से ही शूरु होता है ।
कैसे खोजा गया higgs boson
Higgs boson (god particle ) को खोजने के लिए सन 2012 में वैज्ञानिको ने स्विट्ज़रलैंड में जमीन जमीन के नीचे एक महा परिक्षण किया। जिसको हम Large Hadron Collider के नाम से जानते हैं, इस परिक्षण को जमीन के नीचे एक 27 किलोमीटर लम्बी छल्ले नुमा सुरंग में किया गया था जिसमें सुरंग के अन्दर दो बीम पाइपों में दो विपरीत दिशाओं से आ रही 7 eV (टेरा एले़ट्रान वोल्ट्) की प्रोट्रॉन किरण-पुंजों (बीम) को आपस में टकराया गया जिससे वही स्थिति उत्पन्न की हुयी जो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय बिग बैंग के रूप में हुई थी।

इस प्रयोगशाला में सबसे पहले हाइड्रोजन एटम को सिलेंडर से एक पाइप में भेजा गया जिसमे से negitive charge इलेक्ट्रान को बहार निकला दिया गया प्रोटोन पैकेट को इलेक्ट्रिक फील्ड द्वारा गति प्रदान की गयी प्रोटोन को आगे की यात्रा के लिए एक booster ring में transfer किया गया जिसका diameter 157 मीटर होता है। यहाँ पर प्रोटोन की गति light की speed के 91.6 % की गति से प्रोटोन को दौड़ाया गया उसके बाद आगे की यात्रा के लिए प्रोटोन को proton synchrotron में ट्रान्सफर किया गया जिसका diameter 688 मीटर था यहं प्रोटोन की गति बढ़कर लाइट की स्पीड का 99.9% के बराबर हो गयी फिर यहाँ से आगे की यात्रा के लिए प्रोटोन को super proton synchrotron में transfer किया गया जिसका diameter 7 km होता है यहाँ प्रोटोन की speed बढ़कर light की speed के 99.999% के बराबर हो जाती है यहाँ पर proton energy 450 Gev हो जाती है लेकिन यह हिग्ग्स बोसोन यानि god particle को अलग करने के लिए बहुत कम है उसके बाद प्रोटोन की ऊर्जा को बढ़ने के लिए उनको 27 किलोमटर की सुरंग में दौड़ाया गया जिसमे दो पाइप लगे थे । एक में प्रोतोने clockwise travel कर रहे थे तो दुसरे पाइप के द्वारा anti clockwise और इन दोनों पाइप को 4 जगह पर overlap किया गया तह जिस से पार्टिकल आपस में टकरा पाए और गोद पार्टिकल दिख सके नीचे दिए डायग्राम से आप समझ सकते हैं
पहले proton PB वाले रिंग में गए फिर PS रिंग में फिर SPS में और फिर LHC में ।इस 27 किलोमटर की सुरंग में प्रोटोन को 1 घंटे तक दौड़ाया गया और जब प्रोटोन उस 27 किलोमटर लम्बी सुरंग के 11000 चक्कर सिर्फ 1 सेकंड में पूरा कर दे रहे थे तो तब प्रोटोन की एनर्जी 7 eV (टेरा एले़ट्रान वोल्ट्) हो गयी थी और जहाँ पर ये पार्टिकल टकरा रहे थे वहां पर वही स्थितिः पैदा हुई जो बिग बैंग हुआ था। जिस से जबरदस्त ऊर्जा निकली जो प्रोटोन में से god particle को अलग करने के लिए काफी था और फाइनली प्रोटोन आपस में टकराए और god particle दिख गया तो अब आपको हिग्स बोसोन क्या है का जवाब आपको मिल गया होगा ।
यह पोस्ट बताते हुए मुझे गर्व महसूस होता है क्योंकि हिग्ग्स बोसोन हमारे इतिहास की भोतिकी में की गयी सबसे बड़ी खोजो में से एक है और यह खोज हमारे भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के द्वारा की गयी ।
सत्येन्द्र नाथ बोस
महान वज्ञानिक सस्त्येंद्र नाथ बोस जी का जन्म 1 जनबरी 1894 को कोलकाता में हुआ तथा इनका निधन 4 february 1974 को हुआ वे भारत के महान वैज्ञानिको में से एक हैं। उनको Quantum physics के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। आपको बता दें की भौन्तिक शाश्रा में दो तरह के अणु माने जाते हैं। फर्मियान और बोसोन जिनमे से बोसोन अणु का नाम सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही रखा गया ।
महान भौन्तिकी अल्बर्ट आइन्स्टीन और सत्येन्द्र नाथ बोस ने मिलकर कई सिद्धांत प्रतिपादित किये सबसे पहले सत्येन्द्र नाथ बोस ने ही छोटे से छोटे कणों की अवधारणा को माना था और इन छोटे छोटे कणों को सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर बोसोन नाम दिया गया। जिनको आगे चलकर higgs boson तथा बाद में god particle के नाम से जाना गया में सत्येन्द्र नाथ बोस quantum physics में सत्येन्द्र नाथ बोस द्वारा की गयी खोजो पर आधारित नयी खोज करने वाले कई वज्ञानिको को आगे चलकर नोबोल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया लेकिन सत्येन्द्र जी को अभी ता नोबोल पुरुस्कार नहीं दिया गया । but भारत सरकार द्वारा उनको पद्म भूषण पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
हिग्स बोसोन क्या है | what is higgs boson
सन 1960 में Scientist peter higgs ने हिग्ग्स सिद्दांत (higgs theory) प्रतिपादित किया जिसके अनुसार इस ब्रह्माण्ड में हर खाली जगह में एक फील्ड बना हुआ है जिसको हिग्स फील्ड या higgs field कहा जाता है। और इस फील्ड में छोटे छोटे कण मौजूद होते हैं जिनको हिग्स बोसोन (higgs boson ) या god particle कहा गया। यह कण बहुत सूक्ष्म होते हैं जिसे देख पाना संभव नहीं है। हिग्स बोसोन को गहरे से समझने के लिए पहले हमें electron, neutron, proton, के बारे में समझना होगा ।. Higgs boson से पहले Proton को सबसे छोटा कण माना जाता था।
हम जानते हैं कि पानी की एक बूंद (बारिश की बूंद जितनी) के अन्दर 1.67×1021 अणु होते हैं और पानी का एक अणु एक-एक अणु दो परमाणुओ hydrogen और oxygen से मिलकर बना हुआ है। पानी का सूत्र H2O होता है मतलब जब hydrogen के 2 परमाणु और oxygen का का 1 परमाणु मिलता है तो तब पानी का एक अणु बनता है ।
एक हाइड्रोजन परमाणु के अंदर एक Electron एक Neutron और एक Proton होता है प्रोटोन और न्यूट्रॉन hydrogen के center में होते हैं जबकि Electron केंद्र के चारो और घुमते रहते हैं। प्रोटोन के अंदर 2 up quark or 1 down quark पदार्थ होते हैं जो strong force द्वारा एक दुसरे से जुड़े रहते हैं । proton के अन्दर quark के बीच की खाली जगह को higgs field कहा जाता है। इस खाली जगह के अंदर जो सूक्ष्म कण होते हैं उनको higgs boson या god particle या ईश्वरीय कण कहा जाता है जिनको देखना संभव नहीं है। अब ज़रा आप ही देखिये की वह कितना छोटा कण होगा ।
पानी की बूंद—1.67×1021अणु—परमाणु—quark—higgs field—god particle
प्रोटोन के बाहर इलेक्ट्रान और प्रोटोन के बीच की खाली जगह भी higgs field मानी जाती है ।ब्रह्माण्ड में higgs boson हर उस खाली जगह पर मौजूद होते हैं जहाँ पर कुछ नहीं होता है यदि यह गॉड पार्टिकल नहीं होता तो आज हम भी न होते न हमारा अस्तित्वा होता। एक कहावत है कि कण कण में भगवान् होता है। इसी लिए भी god particle कहा गया क्योंकि किसी भी पदार्थ की उत्पति का सबसे पहला चरण यही god particle से ही शूरु होता है ।
कैसे खोजा गया higgs boson
Higgs boson (god particle ) को खोजने के लिए सन 2012 में वैज्ञानिको ने स्विट्ज़रलैंड में जमीन जमीन के नीचे एक महा परिक्षण किया। जिसको हम Large Hadron Collider के नाम से जानते हैं, इस परिक्षण को जमीन के नीचे एक 27 किलोमीटर लम्बी छल्ले नुमा सुरंग में किया गया था जिसमें सुरंग के अन्दर दो बीम पाइपों में दो विपरीत दिशाओं से आ रही 7 eV (टेरा एले़ट्रान वोल्ट्) की प्रोट्रॉन किरण-पुंजों (बीम) को आपस में टकराया गया जिससे वही स्थिति उत्पन्न की हुयी जो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय बिग बैंग के रूप में हुई थी।

इस प्रयोगशाला में सबसे पहले हाइड्रोजन एटम को सिलेंडर से एक पाइप में भेजा गया जिसमे से negitive charge इलेक्ट्रान को बहार निकला दिया गया प्रोटोन पैकेट को इलेक्ट्रिक फील्ड द्वारा गति प्रदान की गयी प्रोटोन को आगे की यात्रा के लिए एक booster ring में transfer किया गया जिसका diameter 157 मीटर होता है। यहाँ पर प्रोटोन की गति light की speed के 91.6 % की गति से प्रोटोन को दौड़ाया गया उसके बाद आगे की यात्रा के लिए प्रोटोन को proton synchrotron में ट्रान्सफर किया गया जिसका diameter 688 मीटर था यहं प्रोटोन की गति बढ़कर लाइट की स्पीड का 99.9% के बराबर हो गयी फिर यहाँ से आगे की यात्रा के लिए प्रोटोन को super proton synchrotron में transfer किया गया जिसका diameter 7 km होता है यहाँ प्रोटोन की speed बढ़कर light की speed के 99.999% के बराबर हो जाती है यहाँ पर proton energy 450 Gev हो जाती है लेकिन यह हिग्ग्स बोसोन यानि god particle को अलग करने के लिए बहुत कम है उसके बाद प्रोटोन की ऊर्जा को बढ़ने के लिए उनको 27 किलोमटर की सुरंग में दौड़ाया गया जिसमे दो पाइप लगे थे । एक में प्रोतोने clockwise travel कर रहे थे तो दुसरे पाइप के द्वारा anti clockwise और इन दोनों पाइप को 4 जगह पर overlap किया गया तह जिस से पार्टिकल आपस में टकरा पाए और गोद पार्टिकल दिख सके नीचे दिए डायग्राम से आप समझ सकते हैं

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