Music

View All

Entertainment

View All

Featured Post

Fashion

Sports

Trending

Business

Social

Recent Post

Archive

Featured Posts

728x90 AdSpace

Music

View All

Education

View All

Random Post

Recent Post

Slider

Vertical

News

View All

Random Post

Technology

View All

आवेश,विधुत,विभव, प्रतिरोध,कूलाम का नियम,फैराड़े का नियम,प्रतिरोध का संयोजन––

  By- वैभव पाण्डेय                            विधुत आज से हजारों वर्ष पूर्व करीब 600 ई. पू. में यूनान के वैज्ञानिक थेल्स ने पाया कि जब अम्बर...

  By- वैभव पाण्डेय
                          विधुत

आज से हजारों वर्ष पूर्व करीब 600 ई. पू. में यूनान के वैज्ञानिक थेल्स ने पाया कि जब अम्बर नामक पदार्थ को ऊन के किसी कपड़े से रगड़ा जाता है तो उसमें छोटी-छोटी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है। वह गुण जिसके कारण पदार्थ विद्युतमय होते हैं, 'विद्युत' (electricty) कहलाता है। जब आवेश किसी तार या  चालक पदार्थ में बहता है तो उसे धारा विद्युत (current electricity) कहते हैं।

 आवेश दो प्रकार के - धनात्मक आवेश (+ve charge) व ऋणात्मक आवेश (-ve charge) होते हैं।
चालक तथा अचालक पदार्थ (Conductors & non- conductors)

जिन पदार्थों से होकर विद्युत आवेश सरलता से प्रवाहित होता है, उन्हें चालक कहते हैं तथा वे पदार्थ जिनसे होकर आवेश का प्रवाह नहीं होता है, अचालक कहलाते हैं। लगभग सभी धातुएं, अम्ल क्षार, लवणों के जलीय विलयन, मानव शरीर आदि विद्युत चालक पदार्थों के उदाहरण हैं तथा लकड़ी, रबड़, कागज, अभ्रक, आदि अचालक पदार्थों के उदाहरण हैं।
विद्युत धारा (Electric current)

आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। ठोस चालकों में आवेश का प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण के कारण होता है। जबकि द्रवों जैसे- अम्लों, क्षारों व लवणों के जलीय विलयनों तथा गैसों में यह प्रवाह आयनों की गति के कारण होता है। यदि किसी परिपथ में धारा एक ही दिशा में बहती है तो उसे दिष्टï धारा (Direct current) कहते हैं तथा यदि धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है तो उसे 'प्रत्यावर्ती धारा' (alternating current) कहते हैं।

विभवान्तर (Potential Difference)
एकांक आवेश द्वारा चालक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित होने में किए गए कार्य को ही दोनों सिरों के मध्य विभवांतर कहते हैं।

v = w/q (जहाँ v= विभवांतर, w= कार्य व q = प्रवाहित आवेश है।

विभवांतर का मात्रक वोल्ट है।




विद्युत सेल (Electric Cell)
विद्युत सेल में विभिन्न रासायनिक क्रियाओं से रासायनिक ऊर्जा को वैद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। विद्युत सेल में धातु की दो छड़ें होती हैं जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते हैं।

विद्युत सेल मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं-

 

प्राथमिक सेल-

इसमें रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। वोल्टीय सेल, लेक्लांशे सेल, डेनियल सेल, बुनसेन सेल आदि इसके उदाहरण हैं।

द्वितीयक सेल-

इसमें पहले विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा, फिर रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इसका इस्तेमाल मोटरकारों, ट्रकों इत्यादि को स्टार्ट करने में किया जाता है।

कूलॉम का नियम (Coulumb's Law) 

कूलाम के अनुसार दो स्थिर आवेशों के बीच लगने वाला बल, उनकी मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती व उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
 F=k(Q1Q2/R2)

Q1, Q2 दो बिंदु आवेश एक दूसरे से R दूरी पर स्थित है

   
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (Intensity of electric field)

वैद्युत क्षेत्र में परीक्षण आवेश पर लगने वाले बल तथा स्वयं परीक्षण आवेश के अनुपात को किसी बिंदु पर क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं। यदि परीक्षण आवेश का मान ह्नश व इस पर लगने वाला बल स्न हो तो वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता-   

E=F / Q0

खोखले चालक के भीतर वैद्युत क्षेत्र

किसी खोखले आवेशित चालक के भीतर वैद्युत क्षेत्र शून्य होता है तथा इसको दिया गया सम्पूर्ण आवेश, इसके बाहरी पृष्ठï पर ही संचित रहता है।
संधारित्र (capacitor)

संधारित्र में समान आकार की दो प्लेटें होती हैं, जिन पर बराबर व विपरीत आवेश संचित रहता है। इसका प्रयोग आवेश के संचय में किया जाता है।
वैद्युत अपघटन (Electrolysis)

कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं कि जब उनमें वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वे अपघटित हो जाते हैं। इन्हें वैद्युत अपघट्य (electrolyte) कहते हैं। उदाहरण- अम्लीय जल, नमक का जल इत्यादि।
फैराडे के वैद्युत अपघटन सम्बंधी नियम

प्रथम नियम- वैद्युत अपघटन की क्रिया में किसी इलेक्ट्रोड पर मुक्त हुए पदार्थ की मात्रा, सम्पूर्ण प्रवाहित आवेश के अनुक्रमानुपाती होती है। यदि i एम्पियर की धारा t समय तक प्रवाहित करने पर मुक्त हुए पदार्थ का द्रव्यमान m हो तो,

m= Zit (जर्हाँ Z एक नियतांक है, जिसे मुक्त हुए तत्व का वैद्युत रासायनिक तुल्यांक कहते हैं।
· दूसरा नियम- यदि विभिन्न वैद्युत अपघट्यों में समान धारा, समान समय तक प्रवाहित की जाए तो मुक्त हुए तत्वों के द्रव्यमान उनके रासायनिक तुल्यांकों के अनुक्रमानुपाती होते हैं। यदि मुक्त हुए तत्वों के द्रव्यमान m1 व m2 तथा उनके रासायनिक तुल्यांक W1 व W2 हों तो,
फैराडे संख्या (faradey number)

 फैराडे संख्या आवेश की वह मात्रा है जो किसी तत्व के एक किग्रा. तुल्यांक को वैद्युत अपघटन द्वारा मुक्त करती है। इसका मान 9.65&107 कूलाम प्रति किग्रा. तुल्यांक होता है।
प्रतिरोध

जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक में गतिशील इलेक्ट्रॉन अपने मार्ग में आने वाले परमाणुओं से निरंतर टकराते हैं। इस व्यवधान को ही चालक का प्रतिरोध करते हैं। इसका मात्रक 'ओम' होता है।
ओम का नियम (Ohm's law)

यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था (ताप इत्यादि) में कोई परिवर्तन न हो तो चालक के सिरों पर लगाया गया विभवांतर उसमें प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।

v =IR (जहाँ v = वोल्ट, i = प्रवाहित धारा व R = चालक का प्रतिरोध)
प्रतिरोधों का संयोजन (Combination of resistance)

सामान्यतया प्रतिरोध को परिपथ में दो प्रकार से संयोजित किया जा सकता है-

श्रेणी क्रम (Series Combination) - इस क्रम में जोड़े गए प्रतिरोधों में सामान धारा प्रवाहित होती है तथा भिन्न-भिन्न प्रतिरोधों के बीच भिन्न-भिन्न विभवांतर होता है।  बिंदुओं A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध (Resultant resistance) की गणना निम्न सूत्र से की जाती है।

R = r1 + R2 + R3 + - -

समान्तर क्रम (Parallel resistence)- इस प्रकार के संयोजन में सभी प्रतिरोधों के बीच विभवांतर तो समान रहता है, लेकिन धारा की मात्रा भिन्न-भिन्न प्रतिरोधों में भिन्न-भिन्न रहती है। यदि A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध R है तो       

1/R=1/R1+1/R2+......             

COMMENTS

BLOGGER: 2
Loading...
नाम

वैभव पांडेय,94,Gallery,84,
ltr
item
विज्ञान वैभव: आवेश,विधुत,विभव, प्रतिरोध,कूलाम का नियम,फैराड़े का नियम,प्रतिरोध का संयोजन––
आवेश,विधुत,विभव, प्रतिरोध,कूलाम का नियम,फैराड़े का नियम,प्रतिरोध का संयोजन––
विज्ञान वैभव
https://vigyanvaibhav.blogspot.com/2018/01/blog-post_74.html
https://vigyanvaibhav.blogspot.com/
http://vigyanvaibhav.blogspot.com/
http://vigyanvaibhav.blogspot.com/2018/01/blog-post_74.html
true
6129125595806452729
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy