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भौतिक राशियां, मानक एवं मात्रक--

भौतिक राशियां, मानक एवं मात्रक यांत्रिकी में आने वाले सभी भौतिक सम्बन्धी नियमों को- समय, बल ताप, घनत्व जैसी तथा अन्य अनेक भौतिक राशियों के स...

भौतिक राशियां, मानक एवं मात्रक

यांत्रिकी में आने वाले सभी भौतिक सम्बन्धी नियमों को- समय, बल ताप, घनत्व जैसी तथा अन्य अनेक भौतिक राशियों के सम्बन्ध-सूत्रों के रूप में व्यक्त कर सकते हैं। सभी भौतिक राशियों को सामान्यतः मूल एवं व्युत्पन्न राशियों में बांटा जाता है। व्युत्पन्न राशियाँ वे राशियां कहलाती हैं, जो अन्य भौतिक राशियों पर आधारित होती है, जैसे-गति, क्षेत्रफल, घनत्व इत्यादि। मूल राशियां वह हैं, जिन्हें अन्य राशियों के दो पदों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है, जैसे- लम्बाई, द्रव्यमान एवं समय।


भौतिक राशियां


जिसे संख्या के रूप में प्रकट किया जा सके, उसे राशी कहते हैं। जैसे-जनसंख्या, प्रतिशत, अंक, मेज की लम्बाई, वस्तु का भार आदि इनमें से अन्तिम दो ही भौतिक राशियां है। भौतिकी के नियमों को जिन राशियों के पदों में व्यक्त किया जाता है, उन्हें भौतिक राशियां कहते हैं, जैसे- वस्तु की संहति, लम्बाई, बल, वेग, चाल, दूरी, विद्युत धारा, संवेग, घनत्व आदि।


भौतिक राशियों को साधारणत: दो प्रकार से बांटा जा सकता है- मूल भौतिक राशियां तथा व्युत्पन्न भौतिक राशियां


मूल भौतिक राशियां


वे हैं, जिन्हें बिना किसी दूसरी राशि की सहायता से स्वतन्त्र रूप से परिभाषित किया जा सकता है, जैसे-संहति या (द्रव्यमान) लम्बाई, समय, आदि द्रव्यमान का लम्बाई या समय से कोई संबंध नहीं है, अतः वे तीनों ही परस्पर स्वतंत्र हैं और मूल भौतिक राशियां है, इसी प्रकार ताप, विद्युतधारा आदि भी भौतिक राशियां है। सात मूल तथा दो सम्पूरक राशियां होती हैं।


व्युत्पन्न भौतिक राशियां


वे हैं, जिन्हें मूल भौतिक राशियों के पदों में परिभाषित किया जाता है, जैसे- चाल एक व्युत्पन्न राशि है क्योंकि चाल = दूरी/समय या लम्बाई/समय, अर्थात चाल मूल राशियों लम्बाई तथा समय के पदों में परिभाषित की जाती है।


व्युत्पन्न भौतिक राशियों को साधारणत: दो वर्गों में बांटा जा सकता है-




  1. अदिश राशियां

  2. सदिश राशियां


अदिश राशियां


वे राशियां, जिनमें केवल परिमाण होता है, जैसे-संहति, घनत्व, विद्युतधारा, चाल, आयतन, ताप आदि।


सदिश राशियां


वे राशियां, जिनमें परिमाण के साथ-साथ दिशा भी होती है, सदिश राशि कहलाती हैं, जैसे- वेग, त्वरण, बल, संवेग आदि। यदि हम कहे कि बस की चाल 50 किमी./घण्टा है तो कथन पूर्ण है, परन्तु यदि कथन कि बस का वेग 50 किमी./घण्टा है तो अपूर्ण है। क्योंकि वेग एक सदिश राशि है और उसके साथ दिशा बताना आवश्यक है, अतः यह कथन कि बस का वेग उत्तर की ओर 50 किमी./घण्टा है, एक पूर्ण कथन है।


मात्रक


प्रत्येक राशि की माप को लिए उसी राशि का कोई मानक मान चुन लिया जाता है। इस मानक को मात्रक कहते हैं, किसी राशि की माप को प्रकट करने के लिए दो बातों का ज्ञान आवश्यक है - (1) मात्रक (2) संख्यात्मक मान, जो उस राशि को परिमाण को प्रकट करता है, अर्थात् यह बतलाया है कि उस राशि में मात्रक कितनी बार सम्मिलित है।


उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का ताप 37.5 डिग्री सैल्सियस है तो माप का मात्रक डिग्री सैल्सियस है और परिमाण 37.5। भौतिकी में काम आने वाला प्रत्येक मापक यंत्र का एक स्कल होता है। बड़ी राशि को मापने के लिए बड़ा मात्रक और छोटी राशि को मापने के लिए छोटा मात्रक काम में लाया जाता है।


अतः भौतिकी संबंधी सभी मापों को मानक मात्रकों में व्यक्त करना चाहिए। प्रारम्भ में, अनेक देशों में मात्रकों की विविध पद्धतियाँ प्रचलित थी। इसको देखते हुए 1960 में भार एवं माप संबंधी सामान्य संगोष्ठी ने इस हेतु मापों के लिए मीट्रिक पद्धति प्रस्तावित की, जिसे मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति के नाम से जाना गया, जिसका संक्षिप्त रूप SI मात्रक है।


मात्रक पद्धतियाँ⇨ C.G.S. पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक Centimentre-Gran-second या C.G.S. पद्धति कहते हैं, इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं।


⇨ F.P.S. पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमश: फुट, पाउण्ड तथा सेकेण्ड होते हैं, इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहते हैं।


⇨ M.K.S. पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमश: मीटर, किलोग्राम और सेकण्ड होते हैं। यह C.G.S. पद्धति का भी एक रूप है। इस पद्धति के मात्रक व्यवहारिक मात्रक होते हैं, अत: पिछले कई दशकों से वैज्ञानिक मापों में इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है।


⇨ अंतर्राष्ट्रीय पद्धति अथवा SI सन् 1967 में अंतर्राष्ट्रीय माप तौल के महाधिवेशन में SI को स्वीकार किया गया, जिसका पूरा नाम de Systeme Internationale d'Unites है। SI में S का अर्थ है System और I का  Internalionaleअतः SI पद्धति के स्थान पर केवल SI लिखा जाता है।


आजकल इसी पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इस पद्धति में 7 मूल मात्रक और दो सम्पूरक मात्रक होते हैं।


विमाएं


भौतिक राशियों के व्युत्पन्न मात्रक निकालने के लिए मूल मात्रकों पर जो घातें लगानी पड़ती हैं, उन्हें उस राशि की विमाएं कहते हैं। लम्बाई, द्रव्यमान, समय तथा ताप के विमीय संकेत क्रमश: L.M.T तथा K प्रयुक्त किये जाते हैं। यदि किसी भौतिक राशि की लम्बाई में a, द्रव्यमान में b, समय में c तथा ताप में d विमाएं हो, तो उस राशि की विमाओं को निम्नलिखित प्रकार लिखते हैं – [LaMbTcQd]


इसे उस राशि का विमीय सूत्र कहते हैं।


महत्वपूर्ण विमीय सूत्र


घनत्व [ML-3],


रेखीय वेग [LT-1],


कोणीय वेग [T-1],


रेखीय त्वरण [LT-2],


कोणीय त्वरण [T-2],


रेखीय संवेग [MLT-1],


कोणीय संवेग [ML2T-1],


बल [MLT-2],


बल आघूर्ण [ML2T-2 ],


जडत्व आपूर्ण [ML2],


कार्य [ML2T-2],


शक्ति [ML2T-3],


आवेग [MLT1],


विकृति (विमाहीन),


प्रतिबल [ML1-2],


प्रव्यवास्थता गुणांक, [ML-1T-2 ],


पृष्ठ तनाव [MT-2 ],


श्यानता गुणांक [ML-1T-1]


प्रमुख रूपान्तरण


प्रकाश द्वारा निर्वात में 1 वर्ष में चली गई दूरी




  1. प्रकाश वर्ष: प्रकाश द्वारा निर्वात में 1 वर्ष में चली गई दूरी = 9.46 × 1015 मीटर

  2. खगोलीय मात्रक: पृथ्वी तथा सूर्य के बीच की औसत दूरी = 1.496 × 1011 मीटर

  3. पारसेक: यह दूरी का मात्रक है।


1 पारसेक = (3.26 प्रकाश वर्ष) या 3.08 × 1016 मीटर




  1. ज्योति तीव्रता का मात्रक: ज्योति तीव्रता का मात्रक केन्डिला है। मानक स्रोत के खुले मुख के 1 से.मी. क्षेत्रफल की ज्योति तीव्रता का 1/60वां भाग एक केन्डिला कहलाता है, जबकि स्रोत का ताप प्लेटिनम के गलनांक के बराबर हो।

  2. समय का मात्रक: SI पद्धति में समय का मात्रक सेकण्ड होता है। एक मध्याह के बीच की अवधि को सौर दिन कहा जाता है तथा पूरे वर्ष के सौर दिनों के माध्य को माध्य सौर दिन कहते हैं।


माध्य सौर दिवस 1/86400 भाग एक सेकण्ड के बराबर होता है।


1 पिको सेकण्ड = 10-12 सेकण्ड


1 नैनो सेकण्ड = 10‑9 सेकण्ड


1 माइक्रो सेकण्ड = 10-6 सेकण्ड


1 मिली सेकण्ड = 10‑3 सेकण्ड


1 माइक्रोन = 10-6 मीटर


1 मिलीमाइक्रोन = 10-9 मीटर


1 आंग्स्ट्राम मात्रक = 10-10 मीटर


1 फर्मी = 10-15 मीटर


व्युत्पन्न मात्रक




  1. चाल = दूरी/समय; चाल का मात्रक मी. / सेकेण्ड

  2. त्वरण = वेग परिवर्तन/समय


त्वरण का मात्रक = मीटर/सेकण्ड/सेकण्ड = मीटर/सेकण्ड2




  1. बल = दव्यमान x त्वरण;


बल का मात्रक = किग्रा. × मी. / सेकेण्ड2 = न्यूटन




  1. कार्य = बल x विस्थापन;


कार्य का मात्रक = न्यूटन x मीटर = किग्रा.मी.2/सेकेण्ड2


कार्य के मात्रक को जूल भी कहते हैं।


1 जूल = 1 न्यूटन मीटर




  1. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा = द्रव्यमान x गुरुत्वीय त्वरण x दूरी


गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का मात्रक = किग्रा.मी.2/सेकेण्ड2




  1. क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई; क्षेत्रफल का मात्रक = मीटर x मीटर = मीटर2

  2. घनत्व = द्रव्यमान/आयतन; घनत्व का मात्रक = किग्रा./मी.3

  3. द्रव्यमान के मात्रक

    SI पद्धति में द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम है।


    1 टेराग्राम = 109 किग्रा,


    1 पिकोग्राम = 10-15 किग्रा


    1 जीगाग्राम = 106 किग्रा,


    1 मिलीग्राम = 10‑6 किग्रा,


    1 मेगाग्राम = 1 टन = 103 किग्रा = 10 क्विंटल


    1 क्विंटल = 102 किग्रा


    1 डेसीग्राम = 10-4 किग्रा


    1 स्लग = 10.57 किग्रा.




    1. आयतन = लम्बाई × चौड़ाई × ऊंचाई;


    आयतन का मात्रक = मीटर x मीटर x मीटर = मीटर3




    1. वेग = विस्थापन/समय,


    वेग का मात्रक = मीटर/सेकण्ड




    1. शक्ति = कार्य/समय;


    शक्ति का मात्रक = जूल/सेकेण्ड शक्ति के मात्रक को ‘वाट' भी कहते हैं।


    1 वाट = 1 जूल/सेकेण्ड।


    भौतिक राशियां, मानक एवं मात्रक और गति ० A.7




    1. संवेग = द्रव्यमान × वेग;


    संवेग का मात्रक = किग्रा. मी./सेकण्ड




    1. गतिज ऊर्जा = 1/2 × द्रव्यमान × वेग2;


    गतिज ऊर्जा का मात्रक = किग्रा. मी.2/सेकण्ड2





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