कंप्यूटर का विकास 16 वीं शताब्दी से शुरू हो गया था तथा आज का आधुनिक कंप्यूटर्स इशका परिणाम है। हालांकि, कंप्यूटर के विकास में तेज़ी से बदलाव ...
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर (1940 –1956)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (1956 –1963)
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (1964 –1971)
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर (1971 से अब तक)
पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर (वर्तमान और भविष्य)
पहले पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था। वैक्यूम ट्यूब एक नाजुक कांच का यंत्र था, जो फिलामेंट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉन्स को सोर्स के रूप में करता था। यह इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रित और बढ़ा सकता था। ये वैक्यूम ट्यूबों का उपयोग गणनाओं के साथ-साथ भंडारण और नियंत्रण के लिए किया जाता था। पहला कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक नुमेरिकल इन्तेग्रटर और कंप्यूटर (ENIAC) था, जे. प्रेस्पेर एच्केर्ट और जॉन वी द्वारा निर्मित था। ENIAC 30 से 50 फीट लंबा था, 30 टन वजन, 18,000 वैक्यूम ट्यूब, 70,000 रजिस्टरों, 10,000 कैपेसिटर्स और 150,000 वाटबिजली की जरूरत होती थी। पहले पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत भारी होते थे, जिनको रखने के लिए बड़े कमरे की आवश्यकता होती थी और वे बड़ी मात्रा में गर्मी का उत्सर्जन करते थे, इसलिए कंप्यूटर के उचित काम के लिए एयर कंडीशन की आवश्यक थीं। प्रोग्राम्स जो उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग (High Level Programming Language) भाषाओं में लिखे गए हैं जो एक कंपाइलरद्वारा असेंबली भाषा या मशीन भाषा में अनुवादीत (Retranslated) किये जाते है। असेंबली भाषा प्रोग्राम असेम्बलर के द्वारा (असेंबली भाषा कंपाइलर) मशीन भाषा में पुन: वितरित किया जाता है। ENIAC के समाप्त होने से पहले, वॉन न्यूमैन ने एक स्वचालित कंप्यूटर EDVAV को डिज़ाइन किया। इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल आटोमेटिक कंप्यूटर (EDVAC) इश्मे प्रोग्राम्स के साथ-साथ चल रहे डेटा भी मेमोरी में संग्रहीत होते थे तथा इसमें डेटा और निर्देशों दोनों बहुत तेज़ प्रोसेस हो रहे थे। सन 1952 में एच्केर्ट और मौच्ली ने पहला वाणिज्यिक कंप्यूटर यूनिवर्सल ऑटोमैटिक कम्प्यूटर (UNIVAC), विकसित किया था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में इन्टरनल मेमोरी के रुप में मेग्नेटिक ड्रम का उपयोग किया जाता था। इस जनरेशन में प्रोग्रामिंग मशीन और असेम्बली लैंग्वेज (Programming in Machine and Assembly Language) में की जाती थी, मशीन लेंग्वेज केवल 0 और 1 पर आधारित होती हैं।
सेकंड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1956 –1963)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में, वैक्यूम ट्यूब को ट्रांजिस्टर द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। इश्का विकास विलियमशोक्क्ली ने 1947 में किया था। कंप्यूटर छोटे, तेज और सस्ता हो गए थे। वे पहले की तुलना में कम ऊर्जा का इस्तेमाल करते थे। इन कंप्यूटरों पर प्रोग्रामिंग करना संभव था इस चरण के दौरान कंप्यूटर मुख्यतः परमाणु ऊर्जा उद्योग में उपयोग किया जाता था। इसमें मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय टेप का प्रयोग किया जाता था।
थर्ड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1964 –1971)
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में, एकीकृत परिपथ(Integrated Circuit) या I.C. का इस्तेमाल किया गया था। ट्रांजिस्टर छोटे बन गए और उन्हें सिलिकॉन चिप्स पर रखा गया, जिसे अर्धचालक (Semiconductors) कहते हैं इसने कंप्यूटर की गति बढ़ा दी क्योंकि एक IC में ट्राजिस्टर, रेजिस्टर कैपेसिटर तीनों ही समाहित हो गए. जिससे कम्प्यूटर का आकार अत्यंत छोटा होता गया। एक ही समय में इन कंप्यूटरों पर कई अलग-अलग कार्यक्रम चल सकते हैं। इश समय तक कंप्यूटर आम आदमी की पहुंच के भीतर आ गया था। स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट के कारण इन कंम्यूटरों की गति माइक्रो सेकंड से नेनो सेकंड तक हो गयी। इन कंप्यूटरो में ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाने लगा था तथा नये नये हाई लेवल लैंग्वेजेज का विकास हुआ जैसे BASIC (Beginner’s All Purpose Symbolic Instruction Code) आई सी के कारण कंप्यूटर अधिक तेज हो गया था तथा इसके आंतरिक कार्य स्वचालित हो गये।
फोर्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1971 से अब तक)
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों में, माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया था। ये कंप्यूटर वर्तमान में उपयोग होते हैं और आगे विकसित किए जा रहे हैं। इस जनरेशन में माइक्रोप्रोसेसर चिप्स विकसित किए गए थे। अंकगणित संचालन के लिए 0 और 1 को कोडित किया गया था। ये बाइनरी संख्या के रूप में जाना जाता है इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर बहुत छोटे हैं वे हाथ की हथेली में फिट हो सकते हैं इन कंप्यूटरों को तेज छोटे से छोटा, गति तेज और सस्ते बनाया गया और व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है इस चरण के दौरान माउस और अन्य पेरिफेरल डिवाइस, जैसे जॉयस्टिक इत्यादि को विकसित किया गया था। एक दूसरे के साथ जानकारी साझा करने के लिए एक नेटवर्क में कंप्यूटरों को एक साथ जोड़ा जा सकता है इसने इंटरनेट के विकास के लिए भी नेतृत्व किया है।माइक्रोप्रोसेसर की यह तकनीक जिसे Large Scale Integrated Circuitके नाम दिया गया एक छोटी सी चिप में लाखो ट्रांजिस्टरों से समा गये निर्मित इस चिप को ही माइक्रोप्रोसेसर नाम दिया गया। पहला माइक्रो कम्प्यूटर MITS नाम की प्रसिद्ध कंपनी ने बनाया था।आज दुनिया में दो बड़ी माइक्रोप्रोसेसर बनाने वाली कंपनिया Intel और AMD है। उच्च गति वाले नेटवर्क का विकास हुआ जिन्हें आप लैन (local area network) और वैन (wide area network) के नाम से जानते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम MS DOS का पहली बार इस्तेमाल इसी पीढ़ी में हुआ इश्के साथ ही कुछ समय बाद माइक्रोसॉफ्ट विंडोज भी कंप्यूटरों में आने लगी। जिसकी वजह से मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। इसी समय C भाषा का विकास हुआ, जिससे प्रोग्रामिंग करना सरल हुआ। कंप्यूटर के क्षेत्र में सबसे बड़ी क्रांति इस पीढ़ी को माना जाता है। कंप्यूटर का उपयोग अब हम सभी पर्सनल कंप्यूटर के रूप में भी करने लगे है।
फिफ्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (वर्तमान और भविष्य)
कंप्यूटर की पांचवीं पीढ़ी जिसपर अभी काम चल रहा है यह अभी तक यह स्पष्ट नहीं है की पाचवी पीढ़ी किस दिशा में जाएगी। पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर ULSI (Ultra Large Scale Integration) तकनीक पर आधारित है। इस जनरेशन के कम्प्यूटर्स में कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence ) क्षमता विकसित की जा रही है ये उसी के अनुसार कार्य करेंगे | इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में स्वयं सोचने की क्षमता पैदा की जा रही है. कम्प्यूटर को हर क्षेत्र में कार्य करने योग्य बनाया जा रहा है और कुछ हद तक सफलता भी मिल चुकी है उदाहरण के लिये विडोंज कोर्टाना, गूगल असिस्टेंट, एप्पल सीरी इत्यादि को आप देख ही रहे हैं। इसमें हाई लेविल प्रोग्रामिंग भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। GUI (Graphical User Interface) की सहायता से इसे अधिक सरल बनाया जा रहा है। ये कंप्यूटर किसी समस्या के हल करने के लिए इन्टरनेट का इस्तेमाल करते है क्योंकि ये नेटवर्को के माध्यम से जुड़े होते है। कुछ कंप्यूटर्स को तो मनुष्य की तरह व्यव्हार तथा सभी काम खुद से करने के लिए डिजाईन किया जा रहे है जिन्हें रोबोटकहाँ जाता है। आपने Marvel Iron Man(2008) फ़िल्म देखि ही होगी टोनी स्टार्क (Robert Downey Jr.) के J.A.R.V.I.S. और F.R.I.D.A.Y. का नाम तो जरुर ही सुनना होगी अगर नही तोह कोई बात नही आपको मैं बता देता हु J.A.R.V.I.S एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रणाली है जो आयरन मैन से बात कर सकता है, यह एप्पल सिरी जैसा है लेकिन उससे 200000 गुना अधिक उन्नत है यह बहुत सी बातें कर सकता है जैसे सिमुलेशन, कॉपी करना, हैकिंग वह आयरन मैन के सूट का उपयोग कर सकता हैं। हालांकि ये काल्पनिक है, ऐसा सुनने को मिल रहा की 2050 तक हमे ऐसे ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी देखने को मिलेगी। इसपे अभी काम चल रहा है।
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