By-वैभव पाण्डेय केप्लर लेटिस्कोप का विराट योगदान-- हमारे सौरमंडल के बाहर एक्सोप्लानेट ग्रहों की खोजबीन करने में नासा के केप्लर टेलिस्कोप की...
By-वैभव पाण्डेय
केप्लर लेटिस्कोप का विराट योगदान--

हमारे सौरमंडल के बाहर एक्सोप्लानेट ग्रहों की खोजबीन करने में नासा के केप्लर टेलिस्कोप की अहम भूमिका रही है। यह टेलिस्कोप सितारों की चमक में होनेवाले उतार-चढ़ाव को दर्ज कर उसके आसपास मौजूद संभावित ग्रहों की पहचान करता है। सामान्यतः जब किसी तारो के पास से कोई ग्रह पारगमन करता है तो उस तारे के चमक में आंशिक कमी आ जाती है आमतौर पर कंप्यूटर प्रोग्राम इस चमक की कमी को पकड़ लेते है। नासा के K2 मिशन ने तीन वर्षो के भीतर ही लगभग 287309 तारो को देखा है और इनमे से काफी तारो की विस्तृत जानकारियां भी हासिल की है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया(University of California) के खगोलविज्ञानी और कालटेक के खगोलविज्ञानियों ने साझा कार्यक्रम के तहत एक्सोप्लानेट एक्सप्लोरर सिटीजन साइंटिस्ट प्रोजेक्ट(Exoplanet explorer citizen scientist project) का गठन किया है। यह एक्सोप्लानेट एक्सप्लोरर एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है जिसे ज़ूूनिवर्स(Zooniverse) के नाम से जाना जाता है। ज़ूूनिवर्स में जाकर आप सभी एक्सोप्लानेट की जानकारियां ले सकते है जैसे की एक्सोप्लानेट की वास्तविक सिग्नल कैसे प्राप्त की जाती है ?
टेलिस्कोप द्वारा प्राप्त आकड़ो को कैसे विश्लेषण किया जाता है ?
पारगमन संकेत क्या होते है ? इन संकेतों को कैसे वर्गीकृत किया जाता है ?
शोर संकेत और पारगमन संकेतो में अंतर कैसे किया जाता है ? इत्यादि।
हाल ही में सिटीजन वैज्ञानिकों ने K2-138 ग्रह प्रणाली को खोजा है। इसके ग्रह प्रणाली के केंद्र में हमारे सूर्य की तुलना में थोड़ा छोटा और ठंडा एक तारा उपस्थित है। इस ग्रह प्रणाली में ज्ञात पांच ग्रह का आकार पृथ्वी और नेप्च्यून के आकार के बीच का है। ग्रह B संभावित रूप से चट्टानी हो सकता है लेकिन C, D, E, और F ग्रह में बड़ी मात्रा में बर्फ और गैस की उपस्थिति हो सकती है ऐसी संभावनाएं वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्त की गयी है। सभी पांचो ग्रह की कक्षा अवधि 13 दिन से कम दर्ज की गयी है। सभी ग्रह अविश्वसनीय तरीके से काफी गर्म है क्योंकि उनका तापमान 800°F से 1800°F तक हो सकता है। वैज्ञानिकों को यह बात थोड़ी चौका रही है की इन सब ग्रहों के केंद्र में मौजूद तारा बेहद ठंडा है लेकिन इन ग्रहों की प्रकृति गर्म है इसका सरल मतलब है की इन ग्रहों को बाहर से अत्यधिक ऊर्जा नही मिलती अर्थात ये ग्रह स्वयं ही ताप का उत्सर्जन कर रहे है। सिटीजन साइंटिस्टों द्वारा दिया गया इस शोध अध्ययन पत्र को 2018 के एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में पढ़ा जा सकता है।
Journal reference: Astronomical Journal(2018).
स्रोत: California Institute of Technology.
केप्लर लेटिस्कोप का विराट योगदान--

हमारे सौरमंडल के बाहर एक्सोप्लानेट ग्रहों की खोजबीन करने में नासा के केप्लर टेलिस्कोप की अहम भूमिका रही है। यह टेलिस्कोप सितारों की चमक में होनेवाले उतार-चढ़ाव को दर्ज कर उसके आसपास मौजूद संभावित ग्रहों की पहचान करता है। सामान्यतः जब किसी तारो के पास से कोई ग्रह पारगमन करता है तो उस तारे के चमक में आंशिक कमी आ जाती है आमतौर पर कंप्यूटर प्रोग्राम इस चमक की कमी को पकड़ लेते है। नासा के K2 मिशन ने तीन वर्षो के भीतर ही लगभग 287309 तारो को देखा है और इनमे से काफी तारो की विस्तृत जानकारियां भी हासिल की है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया(University of California) के खगोलविज्ञानी और कालटेक के खगोलविज्ञानियों ने साझा कार्यक्रम के तहत एक्सोप्लानेट एक्सप्लोरर सिटीजन साइंटिस्ट प्रोजेक्ट(Exoplanet explorer citizen scientist project) का गठन किया है। यह एक्सोप्लानेट एक्सप्लोरर एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है जिसे ज़ूूनिवर्स(Zooniverse) के नाम से जाना जाता है। ज़ूूनिवर्स में जाकर आप सभी एक्सोप्लानेट की जानकारियां ले सकते है जैसे की एक्सोप्लानेट की वास्तविक सिग्नल कैसे प्राप्त की जाती है ?
टेलिस्कोप द्वारा प्राप्त आकड़ो को कैसे विश्लेषण किया जाता है ?
पारगमन संकेत क्या होते है ? इन संकेतों को कैसे वर्गीकृत किया जाता है ?
शोर संकेत और पारगमन संकेतो में अंतर कैसे किया जाता है ? इत्यादि।
हाल ही में सिटीजन वैज्ञानिकों ने K2-138 ग्रह प्रणाली को खोजा है। इसके ग्रह प्रणाली के केंद्र में हमारे सूर्य की तुलना में थोड़ा छोटा और ठंडा एक तारा उपस्थित है। इस ग्रह प्रणाली में ज्ञात पांच ग्रह का आकार पृथ्वी और नेप्च्यून के आकार के बीच का है। ग्रह B संभावित रूप से चट्टानी हो सकता है लेकिन C, D, E, और F ग्रह में बड़ी मात्रा में बर्फ और गैस की उपस्थिति हो सकती है ऐसी संभावनाएं वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्त की गयी है। सभी पांचो ग्रह की कक्षा अवधि 13 दिन से कम दर्ज की गयी है। सभी ग्रह अविश्वसनीय तरीके से काफी गर्म है क्योंकि उनका तापमान 800°F से 1800°F तक हो सकता है। वैज्ञानिकों को यह बात थोड़ी चौका रही है की इन सब ग्रहों के केंद्र में मौजूद तारा बेहद ठंडा है लेकिन इन ग्रहों की प्रकृति गर्म है इसका सरल मतलब है की इन ग्रहों को बाहर से अत्यधिक ऊर्जा नही मिलती अर्थात ये ग्रह स्वयं ही ताप का उत्सर्जन कर रहे है। सिटीजन साइंटिस्टों द्वारा दिया गया इस शोध अध्ययन पत्र को 2018 के एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में पढ़ा जा सकता है।
Journal reference: Astronomical Journal(2018).
स्रोत: California Institute of Technology.
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